Thursday 28 June 2012

रूप की जगह हृदय को देखें: अतुल जी

चित्रकूट धाम पुराने मंडी परिसर में चल रही श्रीराम कथा के आठवें दिन संत अतुल कृष्ण भारद्वाज ने प्रभु श्रीराम के पंचवटी में विश्राम का प्रसंग सुनाया।
उन्होंने पंचवटी का महत्व बताते हुए कहा कि हर वृक्ष का अपना अपना महत्व है। पाकड़, आम, पीपल, आंवला, वट के वृक्ष अवश्य लगाना चाहिए। प्रभु श्रीराम के आने से पंचवटी और भी हरी-भरी हो गई, क्योंकि प्रभु प्रकृति प्रेमी हंै। आज हम प्रकृति से दूर हो रहे हंै। अपनी जीवन शैली को अप्राकृतिक बना दिया है। हमें अपने घर अथवा घर के आसपास वृक्ष लगाने चाहिए।
सूर्पणखा प्रसंग का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि सूर्पणखा प्रभु श्रीराम का दर्शन करते ही उन पर मुग्ध हो गई। प्रभु ने उसे लक्ष्मण के पास भेज दिया और लक्ष्मण ने प्रभु के पास। इस प्रकार जब वह काफी परेशान हो गई तब उसने क्रोधित होकर भक्ति रूपी सीता पर आक्रमण कर दिया। तब लक्ष्मण ने उसकी नाक, कान काटकर उसके रूप को बिगाड़ दिया। इस तरह प्रभु हमें शिक्षा देते हंै कि हमें रूप मोह में न पड़कर भक्ति रूपी हृदय को देखना चाहिए।शनिवार को कथा सुनने छत्तीसगढ़ नि:शक्तजन आयोग के अध्यक्ष इंदर चोपड़ा, जिला भाजपा अध्यक्ष निरंजन सिन्हा, डा. प्रभात गुप्ता, राजेंद्र शर्मा, एलपी गोस्वामी, दयाराम साहू, सुरेश गुप्ता, रमशीला साहू, वीरेंद्र श्रीवास्तव, रूपनारायण सिन्हा, भुवनलाल टेंगे, प्रकाश गोलछा, प्रकाश गांधी, सुबोध राठी, प्रहलाद साहू, लक्ष्मण राव मगर, दिलीप पटेल, यशवंत गजेंद्र, राजकुमार क्षत्री, गिरधारी लाल अग्रवाल, देवेंद्र, समेत बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।

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