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Tuesday 28 January 2014
धर्म-अधर्म का निर्णय विवेक से करें : अतुल कृष्ण
धर्म-अधर्म का निर्णय विवेक से करें : अतुल कृष्ण
रायपुर - धर्म और अधर्म का निर्णय मनुष्य को अपने विवेक से करना चाहिए, क्योंकि उसके एक निर्णय से किसी का भला हो सकता है और इसी से किसी का नुकसान भी हो सकता है। अपनी प्रशंसा पर कभी गर्व नहीं करना चाहिए और उस पर अहंकार नहीं होना चाहिए क्योंकि प्रशंसा ही अहंकार का घर है। यह बातें गोमाता मंदिर में आयोजित रामकथा में अतुल कृष्ण भारद्वाज ने अहिल्या उद्धार प्रसंग के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि हत्या हो जाना अपराध नहीं है, हत्या किन परिस्थितियों और किन कारणों से हुई है यह पता लगाना आवश्यक है। युद्ध भूमि में विरोधियों या आतंकवादियों को मारना हत्या की श्रेणी में नहीं आता क्योंकि उस समय देश महत्वपूर्ण होता है लेकिन यदि अकारण-वश या निजी स्वार्थ की वजह से किसी की हत्या करना अपराध की श्रेणी में आता है। धर्म और अधर्म क्या है यह हमें रामायण से सीखने को मिलता है। हमारे जिस कार्य से देश, समाज, परिवार का भला होता हो वह धर्म है और जिससे किसी को नुकसान पहुंचता हो वह अधर्म है इसलिए मनुष्य को अपने जीवन में इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
और ऐसी परिस्थिति में अपने विवेक से निर्णय लेना चाहिए। रामायण केवल पूजा करने के लिए नहीं है, वास्तव में रामायण जीवन का ग्रंथ है जो संसार में कैसे रहना चाहिए कैसे दूसरों के साथ व्यवहार करना चाहिए इस बात को सिखाता है।
भारद्वाज जी ने कहा कि आज भी विश्व में हमारे देश की संस्कृति और परंपरा ही सर्वश्रेष्ठ है क्योंकि भारतीय संस्कृति में ही पतिव्रता धर्म का पालन और परंपराओं का निर्वाह महिलाओं द्वारा किया जाता है और इसका प्रमाण प्रतिवर्ष हरछठ, करवाचौथ और ऐसे ही कई पर्व हैं जिसमें महिलाएं पति के लिए उपवास करती हैं, जबकि विदेशों में विदेशी महिलाओं में ऐसी परंपराएं कहीं भी देखने को नहीं मिलती, न पुरुषों और न महिलाओं में। आज हमारे देश की संस्कृति पर भी पाश्चात्य संस्कृति का आक्रमण हो रहा है जिसके कारण तलाक के प्रकरण प्रतिवर्ष बढ़ते ही जा रह हैं।
स्थायी संपत्ति केवल भगवान नाम की है : अतुल कृष्ण
स्थायी संपत्ति केवल भगवान नाम की है : अतुल कृष्ण
रायपुर - अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन द्वारा भनपुरी हे गोमाता दुर्गा मंदिर में आयोजित रामकथा में कथावाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज महाराज ने कहा कि स्थायी संपत्ति केवल भगवान नाम की है जो हमेशा साथ रहती है और साथ जाती है। संपत्ति वही अच्छी है जो किसी का अहित करके न कमाई गई हो। विवाह संस्कार का उद्देश्य जीवन में केवल भोग के लिए नहीं होना चाहिए। संसार में मनुष्य के जीवन का उद्धार केवल राम के नाम से ही हो सकता है, भले ही भगवान का वह नाम उल्टा ही क्यों ना जाप करें।
उन्होंने कहा कि मनुष्य संसार में आकर भौतिक संपत्ति अर्जित कर रहा है लेकिन वह भगवान की वास्तविक संपत्ति प्राप्त करने की नहीं सोचता जो है जो हमेशा उसके साथ रहती है और साथ जाने वाली है। संपत्ति एकत्र करना बुरी बात नहीं है लेकिन वह किसी को नुकसान पहुंचाकर, किसी के साथ अत्याचार करके या किसी का अहित करके अर्जित नहीं करनी चाहिए क्योंकि ऐसी संपत्ति मंगलकारी नहीं होती। जहां लक्ष्मी-श्रीनारायण के साथ घर में वास करती हैं उस घर में हमेशा सुख, समृद्धि और शांति रहती है और यही संपत्ति मंगलकारी भी होती है। महाराज ने कहा कि भगवान राम के नाम की महिमा इतनी है कि इसका पूरा दर्शन रामचरित्र मानस में प्राप्त होता है। राम-नाम के साथ-साथ उनके चरित्र को भी जीवन में उतारना महत्वपूर्ण है।
श्रीराम कथा रायपुर मे
राम कथा के पहले दिन अतुल कृष्ण ने कहा
रामचरित मानस एक महत्वपुर्ण ग्रंथ है। इसमें जीवन से जुड़े सवालों का जवाब है। रामचरित मानस में समस्याओं के निराकरण का उपाय भी है, लेकिन विडंबना है कि आज भी अधिकांश लोग इसे नहीं स्वीकारते हैं। उक्त बातें खमतराई के दुर्गा मंदिर में सोमवार से शुरू हुई श्री राम कथा के पहले दिन कथावाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कही। उन्होंने आगे कहा कि भक्त को भगवान से मिलाने का काम भगवान हनुमान के अलावा और कोई नहीं कर सकता है। इसलिए जहां भी कथा होती है, वहां पर कथा श्रवण के लिए हनुमान जी अवश्य विराजित होते हैं। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति जिस गुण का होता है, उसकी मित्रता उसी प्रकार के गुण वाले व्यक्ति से हो जाती है। भगवान के भक्तों की मित्रता हनुमान जी से होती है।
उन्होंने कहा कि गणेश बुद्धि के स्वामी हैं और सरस्वती जिव्हा की। बुद्धि पर जब तक गणेश जी का वास है और जिव्हा पर सरस्वती का तब तक मनुष्य पर भगवत कृपा बनी रहती है।
गाजे-बाजे के साथ निकली शोभायात्रा
श्री राम कथा के के शुभारंभ पर खमतराई से शोभायात्रा निकली इसमें बड़ी संख्या में इलाके के राम भक्त शामिल हुए। कथा का आयोजन अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य सम्मेलन एवं उत्तर भारतीय समाज ने की है। यह जानकारी राकेश गौतम ने दी।
समस्याओं के निराकरण का उपाय रामचरित मानस में
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