अभिनव विचार




'भारतीय विद्या पूरी दुनिया को दिशा देने में सक्षम'

भारत ने अपने ज्ञान-विज्ञान से विश्व को सदैव दिशा देने का कार्य किया है। इसीलिए भारत
को विश्वगुरु का दर्ज़ा प्राप्त था। आज भी प्राचीन भारतीय विद्या पूरी दुनिया को दिशा देने में
सक्षम है।

हमारे यहां की शिक्षा पद्धति वसुधैव कुटुम्बकम् पर आधारित थी। जिसे लार्ड मैकाल एक षडयंत्र
के तहत परिवर्तित किया जिसके कारण आज अराजकता, भ्रष्टाचार, अपराध, चरित्र में गिरावट जैसा
स्वरुप देखने को मिल रहा है। जब-तक भारत में भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा नहीं
दी जाएगी तब-तक श्रेष्ठ समाज का निर्माण संभव नहीं है।

जिसके जीवन में ज्ञान, भक्ति व सत्कर्म की त्रिवेणी अर्थात संगम हो जाय उसे ही ज्ञानी माना
जायेगा। रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें सारे शास्त्रों का सार है। श्रीराम व रावण के युद्ध
में न तो कोई बजट था और न ही कोई शस्त्र। श्रीराम ने प्रेम, बुद्धि, ज्ञान व बल के आधार
पर रावण को मारा।

ज्ञानी वही है जो गुणों की ओर बढ़ता है और दोषों को त्यागता है। पूर्णिमा की ओर बढ़ने वाले
लोग राम जैसे बनते है और जो अमावस्या की ओर बढ़ते वो रावण जैसे बनते है। अपने को
दैवीय सम्पदा की ओर बढ़ना है न कि आसुरी सम्पदा की ओर।



भारत की भूमि संसार की श्रेष्ठ भूमि है

भारत भूमि संसार की श्रेष्ठ भूमि है। जहां पर एक करोड़ अंग्रेज भी भक्ति करने भारत आते हैं।
जो अपने आप को अच्छा न लगे वह दूसरे के साथ नहीं करना चाहिए।
भारत भूमि के लोग ही चींटी को आटा, पक्षी को दाना एवं सांप को दूध पिलाता है तथा पत्थर से ईश्वर प्रकट करने का सामर्थ्य रखता है।
कोई भी काम छोटा नहीं होता व कोई भी जाति छोटी नहीं होती।
हमें सभी का सम्मान करना चाहिए।यही सामाजिक समरसता का मूल मंत्र है।

निर्मल मन में सहज विराजते हैं भगवान
यदि विद्यार्थी में गुण और दोष अलग करने की क्षमता है। सत्य जीवन जीने के सिद्धांत उसने सीखे हैं।
वह व्यक्ति महान बनता है।
यदि बालक की तरह निर्मल मन हो तो सहज ही ईश्वर प्राप्त हो सकते हैं। सिद्धांतों को जीवन में धारण
करने वाला भी महान है।
मनुष्य चार प्रकार के होते हैं जिनमें नर राक्षस, नरपशु,सामान्य नर व नरोत्तम है। नरोत्तम व्यक्ति का
मन निर्मल, कपट और लालच रहित होता है। जीवन को कैसे जिया जाए। भगवान राम ने सिखाया है।
बच्चे का बचपन जितना तेजस्वी होगा। वह भविष्य में उतना ही अधिक महान होगा। विद्यार्थी हंस पक्षी
की भांति गुण और दोष को अलग करने की क्षमता के सिद्धांतों पर पढे तो ज्ञानी बन सकते हैं।

उपासना से प्रभु की प्राप्ति संभव
सभी ग्रंथ, पुराण व वेद कहते हैं कि सभी को उपासना करनी चाहिए, क्योंकि उपासना से प्रभु की प्राप्ति होती है।
साधक के सत्कर्म की और जाने पर अनेक बाधाएं आती है, जो हमें विचलित करती है। इस समय प्रभु गुरु के रूप में आकर हमें परिस्थिति से जूझने का मार्ग दिखाते हैं। भारतीय संस्कृति के संस्कार, व्यवहार, शिक्षा को बढावा देने पर बल दिया।

पश्चिमी सभ्यता के बढते प्रचलन से हो रही चेंज लाइफ स्टाइल को उन्होंने युवा पीढी के लिए घातक बताया। उन्होंने कहा कि ग्लोबल वर्मिगकी मार को देखते हुए सरकार को पौधारोपणवन विभाग के भरोसे न रखकर सीधे किसानों को अनुदान देना चाहिए तो पर्यावरण संतुलित हो सकता है।

उन्होंने युवा पीढी के लिए धर्म, नैतिक मूल्यों, संस्कार, शिक्षा, आध्यात्मिक ज्ञान के लिए सरकार को जगह-जगह शिविर लगाने की सलाह दी। बताया कि विदेशी लोग हिंदू धर्म की पूजा पद्धति, वेदों के पठन-पाठन व सुसंस्कृत होने की राह पकड रहे हैं और हम पश्चिम सभ्यता में सब भूल रहे हैं। उन्होंने कटाक्ष किया कि आज बच्चों को फिल्मी सितारों के नाम तो याद है, लेकिन देवी देवताओं, तीर्थकरो,भगवतोंऔर संतों के नहीं। अच्छी शिक्षा व संस्कार से जीवन का चहुंमुखी विकास संभव है।

वहीं, दूसरी और समीर विहार में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा व्यास देवेंद्र शास्त्री ने कहा कि आत्मा की आत्मदेवहै और बुद्धि धुंधली है, जो भक्ति की ओर नहीं जाती। आत्मा की आवाज सुनने वाला पाप व वासना में लिप्त नहीं रहता।


मन के भाव से बदल जाते हैं दृश्य
व्यक्ति मन के भाव से ही सांसारिक वस्तुओं का असल जान सकता है। मन ईश्वर का प्रतिबिम्ब है। ईश्वर की कृपा होने पर व्यक्ति के मन के भाव इस तरह जाग्रत होते हैं कि उसके समक्ष सांसारिक दृश्य बदला नजर आता है।

रामायण सभी दु:खों को तारने वाला है। भगवान श्रीराम ने नर रूप में लीलाएं कर जगत को यह बताया है कि सांसारिक दु:खों की मुक्ति के लिए व्यक्ति को ईश्वर रूपी मन के भाव को समझना होगा। तभी वह संसार के वास्तविक ज्ञान को जान सकता है। एक बार हनुमान जी व एकान्त जी में अशोक वाटिका में खिले फुल के रंगों को लेकर बहस छिड़ गयी। हनुमान जी ने कहा कि अशोक वाटिका में खिले फुलों का रंग लाल है। किंतु एकान्त जी का मत था कि फुलों का रंग सफेद है। मतभेद दूर करने के लिए दोनों लोग मां सीता के पास पहुंचते हैं। जहां मां सीता बताती हैं कि अशोक वाटिका में खिले फुलों का रंग काला है। हनुमान जी व एकान्त जी को दु:खी देख भगवान श्रीराम ने रंगों के रहस्य को बताते हुए कहा कि आप सभी ने जो रंग देखे हैं। वह सत्य है। क्योंकि आप तीनों के अशोक वाटिका में जाने का समय अलग अलग रहा है।


रामकथा आंदोलन
श्रीराम कथा अंतरराष्ट्रीय आंदोलन है जिससे पूरे विश्व की तस्वीर बदल रही है। विश्व के एक करोड़ अंग्रेज हिंदू धर्म को स्वीकार कर उसकी मान्यताओं में जी रहे हैं। प्रसिद्ध अभिनेत्री जूलिया राबर्ट व जुरासिक पार्क फिल्म के निर्देशक स्टीफन आदि हिंदू धर्म को आत्मसात कर चुके हैं।बुद्धिमान अंग्रेज हिंदुत्व को अपना रहे हैं जबकि उनके देश के लोग भारत के आदिवासियों व वनवासियों के रूप में अशिक्षित लोगों को बरगला कर इसाई धर्म से जोड़ रहे हैं।

भगवान राम ने शांति की स्थापना के लिए रावण जैसे समृद्ध योद्धा से शून्य बजट में लड़ाई जीत ली। गोस्वामी तुलसीदास ने जी उनकी लीलाओं में आधारित रामचरितमानस की रचना कर देश को विदेशी संस्कृति से मुक्त कराने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। श्रीराम से जुड़ना भारत की राष्ट्रीयता से जुड़ना है और उनका विरोध भारत उसकी संस्कृति का द्रोह है।

विज्ञान की प्रगति ने पूरी दुनिया को अशांत कर दिया है। घरेलू गैस की आंच पर सीधे सेंकी गई रोटी ब्यूटेन गैस के प्रभाव के कारण जहरीली हो जाती है।

रामनाम की माला जपने से ही नहीं धर्म की स्थापना से देश का कल्याण होगा।
अयोध्या में भव्य राममंदिर का निर्माण हुआ तो इसका कायाकल्प स्वत: हो जाएगा।