Thursday 28 June 2012

सुख संग्रह से नहीं अपितु त्याग से


मोदीनगर[संस]। श्रीरामकथासेवा समिति के तत्वाधान में आयोजित रामकथा के प्रसंग पर कथा व्यास संत अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि जगत में वस्तुओं से सुख प्राप्त करने की प्रवृत्ति बढती जा रही है। जब कि सुख संग्रह से नहीं अपितु त्याग से प्राप्त होता है।
मुलतानीमलमोदी डिग्री कालेज प्रांगण में चल रही कथा में कथा व्यास संत भारद्वाज ने कहा कि भगवान राम व भरत से आदर्श की शिक्षा लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को लेने की बजाए देने की प्रवृत्ति अपनाने का प्रयास करना चाहिए। संत ने बताया कि जीवन में दान-धर्म करने से आनंद की प्राप्ति होती है। जो नि:संकोच मन से दान करता है, उसका पाप एवं भय नष्ट हो जाता है।
उन्होंने कहा कि राम नाम जपने से परमात्मा का जीवात्मा से मिलन होता है। मनुष्य की यह भूल है कि वह सुख प्राप्त होने पर ईश्वर को भूल जाता है। गर्भ में वायदा करता है कि मैं आपका निरंतर भजन करूंगा परंतु बाहर आते ही वह माया में लिप्त हो जाता है। गृहस्थ के बंधन में रहकर प्रभु से प्रेम नहीं करता है। स्वतंत्र होते हुए भी अपने परतंत्र समझता है। प्रत्येक काल में ईश्वर को याद करते रहना चाहिए।

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