Thursday 28 June 2012

मनुष्य को भक्तिमय जीवन व्यतीत करना चाहिए : पं. अतुल

इस्पात टाइम्स/रायगढ़। स्थानीय रामलीला मैदान में आयोजित राम कथा के कथा व्यास  अतुल कृष्ण जी भारद्वाज के आगमन पर राम कथा आयोजन समिति के अध्यक्ष सुनील रामदास एवं सदस्यों ने श्री भारद्वाज का चरण स्पर्श कर उनका स्वागत किया गया। उनके कथा व्यासपीठ पर आसीन होने के बाद राजेन्द्र अग्रवाल, रामकुमार देवांगन, डी. ईश्वर राव, जन्मजय, अशोक अग्रवाल, शोभा शर्मा, सुषमा अग्रवाल, सुनील रामदास, गोपाल अग्रवाल, आभा अग्रवाल, अंजु अग्रवाल, विकास निगानिया, बब्बल पाण्डेय, प्रवीण द्विवेदी, संजय अग्रवाल, देवेन्द्र पंताप सिंह, कविता अग्रवाल, अजय सिंघानिया, नंदकिशोर अग्रवाल, प्रचार प्रसार प्रमुख जिम्मी अग्रवाल, गुणवंत सिंह ठाकुर, मयंक गांधी ने माल्यार्पण कर अतुल कृष्ण जी भारद्वाज का मंच पर  चरण स्पर्श कर स्वागत किए। कथा प्रारंभ होने के पूर्व अध्यक्ष सुनील रामदास द्वारा रामचरित मानस एवं भगवान श्रीराम के चित्र पर माल्यर्पण कर पूजा अर्चना किए।  कथा प्रारंभ होने के पूर्व प्रो. अंम्बिका वर्मा ने कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज का संक्षिप्त परिचय कराते हुए बताया कि वे रसायन शास्त्र में एम.एस.सी. और देश के प्रतिष्ठित संस्थान से पत्रकारिता में एम.ए.किए है। यदि आप धर्म संबोधनो से जुड़े नही होते तो निश्चित रूप से प्रभु चावला और रजत शर्मा जैसे उदयीमान प्रत्रकार होते। लेकिन यह देश का सौभाग्य है। कि श्रीराम कथा जैसे दिग्गज विद्वान से पूरा समाज प्रेरित और लाभांन्वित है। कथा आरंभ के पूर्व प्रोफेसर अंम्बिका वर्मा ने महाराज जी का आत्मीय परिचय प्रस्तुत करते हुए कल की कथा के चुनिंन्दे अंशों की चर्चा की। अपनी प्रभावशाली शैली से श्री वर्मा ने पिछली कथा के मुख्य कथ्य का सौंदर्य उदघाटित किया।  अतुल कृष्ण भारद्वाज ने श्री राम जय राम जय-जय राम के भजन एवं संगीत से पूरा वातावरण को भक्तिमय कर दिया। श्रद्धालु श्रोतागण श्रीराम के सुमधुर भजन में लीन हो गये।  उन्होंने संत तुलसीदास जी के त्यागमयी जीवन पर प्रकाश डालते हुए   कहा कि वे खजरनाक नक्षत्र अभूक्त मूल नक्षत्र में पैदा हुए इस नक्षत्र में पैदा होने पर माता पिता एवं बंधु का नाश होता है इस डर से दनके पिता ने इन्हें शीघ्र जंगल में छोड़कर आने को कहा पर मां की ममता नही मानी उन्होने दासी से पालन पोषण करवाया एक वर्ष के भीतर दासी मर गई। मां-बाप भी मर गये अब तुलसी दास जी का आयु मात्र चार वर्ष का था । चार वर्ष का छोटा अबांध बच्चा कहां रहे क्या खाये ये समस्या उत्पन्न हो गई एक ऐसा समय आया कि तुलसी दास जी को अपना भुख को शांत करते के लिए कुत्तों के साथ पत्तल को चॉटना पड़ा एैसा समय भी उनके जीवन पर बिता है इसलिए सैसे महान संत को बारंबार प्रणाम है। नरहरि दास जी ने उन्हें संस्कार वान बनाया एवं गुरूमधुसून सरस्वती के पास कांशी विद्यार्जन के लिये भेजा त्रिदेव में ब्रम्हा भी अमर नही है और महादेव जी सबसे पुराने है। एवं उन्होंने कई बार सृष्टि को बनते बिगड़ते देया है।  श्री भारद्वाज जी ने कहा कि एक बार पार्वती जी शंकर जी से पूछी आप आदि देवता है अजर अमर है आप इस सृष्टि के सत्य बात को बताईये तब प्रभु शंकर जी ने कहा सत्य हरि भजन है वही जीवन का सार है बाकि दुनिया मिथ्या है। गोस्वामी जी एक-एक चौपाई महा मणी मंत्र है जो हमारे मांथे पर लिखे हुए कुअंक को भी मिटा सकता है। मीरा बाई कलयुग की सबसे बड़ी भक्त हुई वो भक्ति में लीन होकर पत्थर में समा गई उन्हें संत रविदास जी ने राम मंत्र दिया था। हमारे देश में अनेक विभिन्नता होते हुए भी कई परंपरा एक समान है। हमारी संस्कृति एक जैसा है। चीता एक जैसा है। ज्ञान एक जैसा है पंरपरा का विकास एक समान होता है। दो हजार पांच सौ साल पहले आदिशंकराचार्य ने सनातन धर्म का प्रचार किया था। 

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