Wednesday 28 January 2015

पचमढ़ी अविस्मरणीय ज्ञान यज्ञ


पचमढ़ी में श्री अतुल कृष्ण जी द्वारा श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सम्पन्न

पचमढ़ी में कथा व्यास महाराज श्री अतुल कृष्ण जी श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ सम्पन्न
पर्यटक नगरी पचमढ़ी में श्रीमद् भागवत कथा अनूठी सिद्ध हुई एवं भक्तों की अपार भीड़ उमडी । पचमढ़ी में धार्मिक आयोजन सफल नहीं हो सकते का भ्रम असत्य सिद्ध हुआ । पचमढ़ी के समाज ने कथा व्यास महाराज श्री अतुलकृष्ण की भावप्रवण कथा गंगा से सराबोर हो कर गायत्री की गोदी में गौ माता की जय जय कार के संग भारत माता को अखण्ड करने का अद्भुत सङ्कल्प भागवत ज्ञान यज्ञ में लिया ।
ज्ञानयज्ञ मैं धर्म की , सत्य की व्याख्या व्यक्ति, ग्राम, समाज, राष्ट्र के जीवन के युगानुकूल सन्दर्भों में लिए जाने से अत्यधिक आनन्द एवं प्रेरणा समाज को मिली। श्री अतुलकृष्ण जी ने बताया की कथा केवल सुनाने के लिए या आडम्बर के लिए या व्यवसाय के लिए या दिखावे के लिए या कर्म काण्ड के लिए नही अपितु स्वयं के जीवन के उद्देश्य को समझने तथा आदर्शों के अनुकूल जीवन को ढालने के लिए है । उन्होंने जागृत किया की अपनी गौरवमयी संस्कृति , वांग्मय ,प्रतीकों के अर्थ समाज को ज्ञात होने से एवं सनातन धर्म के मानवता वादी शाश्वत मूल्य वसुधेव कुटुम्बकम , सर्वे भवन्तु सुखिनः , ॐ द्यो शांतिः विश्व में स्थापित होने से ही संसार का कल्याण सम्भव है । श्री अतुलकृष्ण जी ने श्रोताओं को बताया की विश्व के विभिन्न देशों के एक करोड़ से अधिक लोग हिन्दू संस्कृति मैं सम्मिलित हो कर योग , हरे रामा हरे कृष्णा ,ध्यान के मार्ग अनुसार जीवन को धन्य कर रहे हैं ।
श्री अतुलकृष्ण जी ने धर्म के मूल सिद्धांत एकम सत विप्राः बहुधा वदन्ति का प्रतिपादन किया एवं कहा की विश्व के समक्ष केवल मैं ही सही , मेरा ग्रन्थ ही सही एवं मेरे द्वारा पुकारने वाले नाम को ही सही मानो वाले सिद्धांत के कारण सर्वनाश का भय हुआ है और यह सीरिया ,ईराक ,नाइजीरिया ,अफगानिस्तान ,पाकिस्तान में हमारे सामने चरितार्थ हो रहा है । स्त्रियों को मंडी में खुलेआम नीलम किया जा रहा है एवं अपहृत कर बलात मतांतरित कर शादियाँ की जा रहीं हैं एवं भीरु मानवाधिकारवादी कहीं नहीं दिखते ।
पचमढ़ी के वनवासी बहुल नालंदा टोला में जा कर सरल कथा व्यास श्री अतुलकृष्ण जी द्वारा विधिवत पट्टे मिलने की बधाई हनुमान जी के मंदिर में अर्चन कर दी गयी । टोला वासियों ने केवट व् शबरी जैसा प्रेम लुटाया और कलश यात्रा से भव्य स्वागत किया ।महाराज श्री ने व्यसन मुक्त संस्कार युक्त जीवन का संकल्प ले सुमंगल का आशीर्वचन दिया एवं लोभ , कपट एवं छल से मतांतरण करने वालों से सावधान रहने की सीख दी ।
पचमढ़ी श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ में महाराज श्री अतुल कृष्ण जी ने जीवन के अस्थायी सम्बन्धों का विवेचन सती-दक्ष प्रसंग से किया एवं बताया कि सती रुपी बावन शक्ति पीठों की भूमि ही अखंड भारत माता का स्वरूप् है । ध्रुव की कथा,राजा बलि की मातृ भक्ति ,पृथु द्वारा कृषि का आरम्भ एवं धरती का नाम उन्ही से पृथ्वी पड़ना,ऋषभदेव जी की गौरवशाली कथा तथा उन के पराक्रमी पुत्र भरत से ही देश का नाम भारतवर्ष हुआ बताया गया ।
भगवान विष्णु के पार्षद जय–विजय की कथामृत ने वराह,नरसिंह,वामन,रामावतार की मधुरता से भक्तों को भाव विभोर किया । श्रीकृष्ण का जन्म परित्राणाय साधुनाम विनाशाय च दुष्कृताम् होने पर सहस्त्रोंभक्तों ने विशाल कलश-शोभायात्रा बाजे गाजे के संग राम मंदिर तक निकाल कर आरती गाई , प्रसाद - मिठाई का वितरण कर हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हईयालाल की का हर्ष व्यक्त कर आनंद मनाया । पूर्णावतार श्रीकृष्ण की लीलाओं को विस्तार से सुनाते हुए महाराज श्री अतुल कृष्ण जी ने वर्तमान परिप्रेक्ष्य मैं धर्म स्थापना के लिए किये सत्प्रयत्नों के लिए छत्रपति शिवाजी एवं दशमेश गुरु गोविन्द सिंह जी को स्मरण करते हुए भीगी आँखों एवं फडकती भूजाओं के संग माय मेरा रंग दे बसंती चोला गीत से सभी को धर्म,संस्कृत एवं राष्ट्र प्रेम की गंगा में बहा दिया ।
महादेव जी के पावन क्षेत्र एवं ऋषियों की तपोभूमि पचमढ़ी में महाराज श्री के ज्ञान यज्ञ से अभूतपूर्व धार्मिक वातावरण निर्मित हुआ साथ ही अनुरोध पर पुलिस प्रशिक्षण शाला के चार सौ नव आरक्षकों को महाराज श्री ने प्रेरणादायी व्याख्यान से राष्ट्रभक्ति तथा समाज सेवा की शिक्षा दी । कथा व्यास महाराज श्री अतुलकृष्ण जी ने चौरागढ़ ,बड़ा महादेव की गुफा , जटाशंकर ,अम्बामाई , महावीरं हनुमान मंदिर , गुरुद्वारा , राम मंदिर गांधी चौक , गायत्री मंदिर में जा कर प्रणाम निवेदन किया एवं उन्होंने पचमढ़ी में पुनः राष्ट्रीय स्तर का कोई आयोजन करने की इच्छा व्यक्त की ।
पचमढ़ी श्रीमद्भागवत ज्ञान यज्ञ के इस अद्भुत कार्यक्रम के मध्य चार बार भव्य कलश यात्रा निकलीं , विशाल रुद्राभिषेक व् हवन विधि विधान से सम्पन्न हुआ जिस में सेंकडों श्रद्धालुओं ने भाग लिया , अनेक दम्पत्ति दैनिक यजमान बने एवं अंतिम दिन चार हजार से अधिक भक्तों ने भंडारे का आनंद उठाया । आयोजन समिति ने श्री अतुलकृष्ण जी की पूरी मंडली ,समस्त श्रद्धावान नगर वासियों ,सहयोगियों का हृदय से धन्यवाद ज्ञापित किया है ।