Thursday 10 March 2016

सुकमा में श्रीराम कथा


सुकमा। जीवन में शांति आ गयी फिर उसे कही अन्यन्त्र जाने की आवश्यकता नहीं है। बन्धन और मोक्ष एक ही चाबी से खुलते है। वह है मन की चाबी। यदि भगवान में रम गया तो समझो मोक्ष हो गया और यदि संसार की वृन्तियों में लगा रहा तो बन्धन में फंसा रहेगा।
सच्चे गुरू आ जाये तो कही जाने की जरूरत नहीं है। सच्चे गुरू अपने शिष्यों को सतमार्ग पर चलने का रास्ता दिखाते है।

उक्त बाते श्रीराम कथा में अतुल कृष्ण भारद्वाज ने प्रवचन में कही। शुक्रवार को माहेश्वरी समाज द्वारा आयोजित श्रीराम कथा के दूसरे दिन दूर-दराज से हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण पहुंचे। भगवान शिव-पार्वती विवाह का कार्यक्रम किया गया। प्रवचन में अतुल कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि मनुष्य की औसत आयु 70 वर्ष की हो गयी है। यदि इससे अधिक आयु होती है तो समझ लिजिए कि भगवान ने उसे बोनस दिया है। मनुष्य के जीवन में जो चार पढ़ाव आते है। उसका पूरा उपयोग करते हुए अन्तिम समय में पुराण सम्मत सन्यास आश्रम की व्यवस्था का उसे पालन करना चाहिए।

आशय यह है कि वह घर और परिवार को छोडक़र चला जाय बल्कि घर को ही बैकुण्ठ बनाऐं और हनुमान जी की तरह राम नाम का सुमिरन और कीर्तन करते रहे। उन्होने कहा कि शरीर के सम्बध तो अस्थाई होते है इसलिए मनुष्य को अपनी सोच का दायरा बढ़ाना चाहिए। उसे अपने पुत्र के अलावा सभी में परमात्मा के दर्शन करने चाहिए। श्रीराम कथा में भगवान शिव-पार्वती का विवाह बड़े धूम-धाम से किया गया।

आज होगा भगवान श्रीराम का जन्म: माहेश्वरी समाज के संभागीय अध्यक्ष सुरेन्द्र चांडक ने बताया कि आगामी सात दिनों तक यह कार्यक्रम चलता रहेगा। जिसमें श्रीराम जन्म, अहिल्या उद्धार एवं श्री सीताराम स्वयंवर, श्रीराम वन गमन एवं केवट संवाद, भरत मिलाप एवं शबरी प्रसंग, सुंदर काण्ड एवं राज तिलक कार्यक्रम आयोजित होंगे।

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