Sunday 2 October 2011

महाराज जी के विचार



'भारतीय विद्या पूरी दुनिया को दिशा देने में सक्षम'

भारत ने अपने ज्ञान-विज्ञान से विश्व को सदैव दिशा देने का कार्य किया है। इसीलिए भारत को विश्वगुरु का दर्ज़ा प्राप्त था। आज भी प्राचीन भारतीय विद्या पूरी दुनिया को दिशा देने में सक्षम है।

हमारे यहां की शिक्षा पद्धति वसुधैव कुटुम्बकम् पर आधारित थी। जिसे लार्ड मैकाल एक षडयंत्र के तहत परिवर्तित किया जिसके कारण आज अराजकता, भ्रष्टाचार, अपराध, चरित्र में गिरावट जैसा स्वरुप देखने को मिल रहा है। जब-तक भारत में भारतीय जीवन मूल्यों पर आधारित शिक्षा नहीं दी जाएगी तब-तक श्रेष्ठ समाज का निर्माण संभव नहीं है।

जिसके जीवन में ज्ञान, भक्ति व सत्कर्म की त्रिवेणी अर्थात संगम हो जाय उसे ही ज्ञानी माना जायेगा। रामायण एक ऐसा ग्रन्थ है जिसमें सारे शास्त्रों का सार है। श्रीराम व रावण के युद्ध में न तो कोई बजट था और न ही कोई शस्त्र। श्रीराम ने प्रेम, बुद्धि, ज्ञान व बल के आधार पर रावण को मारा।

ज्ञानी वही है जो गुणों की ओर बढ़ता है और दोषों को त्यागता है। पूर्णिमा की ओर बढ़ने वाले लोग राम जैसे बनते है और जो अमावस्या की ओर बढ़ते वो रावण जैसे बनते है। अपने को दैवीय सम्पदा की ओर बढ़ना है न कि आसुरी सम्पदा की ओर।

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